जब तक छत्तीसगढ़ म नवा सरकार नई बनही तब तक गोठ बात ह अइसनेन चलही। धान काटे ल जावत हे त उहों इहीच गोठ चलत हे। कोन जितही कोन हारही। बात के शुरुआत कहुं ले होवय आके नेतागिरी म अटक जथे। का गांव अऊ का शहर जम्मो डहार एकेच ढन गोठ बात चलत हे। पल पल म सरकार बनावत अऊ गिरावत हे।
नेतागिरी के चक्कर अइसने होथे। परन दिन बैसाखू ह कम गारी नई खाईस हे तभो ले आज वो ह फेर आधा रात के घर पहुंचीस। सरकार बनाय बिगाड़े के गोठ म अतका रम गे के ओखर भूख पियास घलो कोन डहार चल दिस। पटेल डोकरा ह गारी दिस चलो मरगो रे कहीके ल फेर टुरा मन ह गौरा चौरा ले रहीन हे त तरीया पार म फेर उही गोठ ल लमा दिन। घर गीस त डोकरी ह दरवाजा खोल तेच बउछा में मुंदरहा ले धान लुए बर जाय बह हे अऊ ते ह आधारात ले घुमत हस। नेता गिरी के गोठ ह तोर जिन्दगी चला दिही। अतका समझायव तभो ले नई मानस। जग अब जुड़ाय मात ल कले चुप खा। नखरा मारबे त ठीक नई होही। बैसाखू ह का कहीतीस गलती त हो गे रीहिस। पानी पीपी के मात ल निगलीस हे। भूख घलो लागत रीहिस। फेरि बिहिनिया ले उठे के चिंता म कब धारी के मात ह सीरा गे वो ल पता नई चलीस। इले चुप कथरी म खुसर के सुत के कोशिश करत रीहिस फेर ओखर धीयान ह घेरी-बेरी सरकार डहार चल देवय। सरकार के खिलाफ वोट दे रीहिस अऊ जम्मो झन के गोठ घलो चलत हे के ए दारी सरकार बदल जाही। उहु ह इही सोच के सरकार के खिलाफ वोट दे रीहिस के सरकार बदल जाही तभो वोला दुरुपया किलो चांउर अऊ दुसर सुविधा मिलही फेर मन म घलो डर ह बइठे रीहिस के नवा सरकार ह सब योजना ल बंद कर दीही त का होही। घर ल कइसे चलाही। ये महंगाई के जमाना म लइका मन ल वो ह इही योजना के भरोसा बने स्कूल म भर्ती कराय हावय। किन्तु योजना ह बंद हो जही त लइका मन ह कहाने पड़ही। बैसाखू ल अपन नई पढ़े के अड़बड़ दुख हे। तभे त पेट काट के वोह अपन लइका मन ल बढिय़ा ले बढिय़ा स्कूल म पढ़ावत हे। वो दिन ठाकुर साहेब ले कतका नई लड़े रीहिस। ठाकुर ह अतके कही पारे रीहिस के सरकार ल फोकट म कुछु नई देना चाही। एखर मन के भाव बढ़ गे हे। घर म काम बुता करईया मन घलो नखरा मारथे। अतका ल सुन के बैसाखु ह बउरा गे रीहिस अऊ का का नई कही दे रीहिस। सरकार बदले ले जादा ओला योजना बंद होय अऊ ओखर ले जादा लइका मन के पढ़ई के चिंता हे तभे त एती तेती कलपत कतका बेर मुंदरहा होगे वोला पता च नई चलीस। दाई ह चिचियाईस त धरा रपटा उठ के खेत डहार हंसिया घरे रेंग दिस फेर मने मन गुनत रीहिस.. कइसे होही.. का होही!
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