गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

जेन तोर हाल तेन मोर हाल...


पहली भाजपाई मन ह विभिषण मन ल सुमरीन अब कांग्रेसी मन ह सुमरत हे। सत्ता के लड़ई म सब झन के एकेच ढन हाल हे। पहली टिकिट बर हांव-हांव करीन अब एक दूसर पर हांव हांव करत हे। खिर मन के आजकल इहीच धंधा होगे हे। अपन गुन ल नई बतावय के काम करत  हे दूसर के पाप ल गिनावत रथे।  दस साल ले सत्ता ले बाहिर हे तभो ले नई चेते हें। गारी गल्ला सब चलत हे। नाप ले ले के बतावत हे के विरोधी मन ह कइसे अऊ कहां कहां उदीम करे हावंय। कतकोन मन पइसा बर विभिषण बने रीहिन त कतको झन अपन पारी लगाया बर विभिषण बने रीहिन।  मे हा इही तीर पहिलीन गोठिया डोर हांवय के आजकल राजनीति ह समाजसेवा के जादा धंधा होगे हे। मनमाने खरचा करत हे एखर मन बर निमद कानून कोई मायने नई रखय एखर मन बर जात धरम घलो कुछु नई हे अब कार्यकर्ता मन घलो ए बात ल जान डारे हें तभे त भाजपा म घलो उही होवत हे जेन कांग्रेस म चलत रीहिस। कांग्रेस म ए दारी बड़े बड़े नेता मन के पसीना छुट गे हावय। भाजपाई ले जादा ओमन ल अपने पार्टी के विभिषण मन ले लड़े बर पड़त रीहिस। ए अलग बात हे के ए दारी भाजपा के विभिषण जादा रीहिस। एक त सरकार के करनी उपर ले मंत्री मन के करनी ले पहिलीच भाजाप ह परेशान रीहिस अऊ ऊपर ले पार्टी के विभिषण मन ह थोड़ बहुत उम्मीद रहाय तउनों ल सत्यानाश कर डारे हावय।  कांग्रेस म त परम्परा बन गे हावय। मैं नई खा सकवं त बगरा दुंहु के खेल कांग्रेस म कई साल ले चलत हे। पउर के चुनाव म बड़े बड़े नेता सत्यानारायण शर्मा, भूपेश बघेल, महेन्द्र कर्मा, धनेन्द्र साहू हार गे रीहिन नई त सरकार के रंग रूप ह दुसर होतीस। इहु दारी अकबर, रविन्द्र चौबे, भूपेश बघेल, अमितेश शुक्ला, अग्नि चंद्राकर मन ल विभिषण मन ह कंसा के रख दे रीहिन फेर ए मन ह जीत जबो काहत हे। सरकार भाजपा के बनही के कांग्रेस के बनही एखर पता त आठ दिसम्बर के चलही लेकिन एक बात त तय हे के दुनो पार्टी म विभिषण मन के संख्या ह दिन दुनी रात चौगुनी असन बाढ़त हे। एखर मन के कोनो कुछ बिगाड़ सकही तेखरों उम्मीद कोनो ल नई हे। अब देखना हे के ए मन ल कोन कोन पंदोली देथे।

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