गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

सिरतोन पतियाबे त पछताबे...


ए दारी किसान मन ह फेर नेता मन के गोठ बात म आके धान ल थप्पी लगा के मढ़ाय हावय। एक झन दु हजार म लेबों कही दे हे त एक झन इक्कीस सौ कही दे हे। इंखर गोठ बात म आके कतकोन झन मन ह धान ल मंडी नई लेगत हे। अऊ रस्ता देखत हे के कब सरकार बनही तहां ले धान बेचबो।
जम्मो डहार इही हल्ला उड़त हे फेर जीवराखन ल एखर ले मतलब नई हे। कतको झन समझाइन 15 दिन रूक जा गा फेर वो ह नई मानीस। मंत्री धान ल बेच दिस। उल्टा समझइया मन बउछा गे अऊ कीहीस पगला गे हे। नेता मन के बात ल खाली सुने के हे। पतियाबे त लात जुता खाबे। पउर के चुनाव के गोठ ल नई जानत हावव। 270 रूपया बोनस देबो कही दिन अऊ सरकार बनीस तहां ले भुला गे। सुरता कराय बर आन्दोलन करीन त लात जुता अलग पड़ीस। अऊ चुनई आईस त बोनस बांट दिन।
के साल होगे सड़क बिजली पानी मांगत। जब चुनाव आथे नेता मन ह एदारी बना देबो कथे फेर आज तक नई बने हे। एक ठन स्कूल म छेरी असन उइला देथे। पांच कलास ल एकेच ढन गुरुजी पढ़ावत हे के साल होगे कहात फेर कोनो नेता मन ह धियान देथे। वोट के पड़त ले ए कर देबो वो कर देबो कहत रथे अऊ तहां ले तै सुरता देवात रह कोनो नई सुनय।
अऊ कहुं ते हा आन्दोलन कर देबे त पुलिस वाला मन लौड़ी अलग बरसाये।
माटी तेल अऊ चाउंर के त ठिकना नई हे। लाईन लगाय रह तब कहुं मुश्किल ले मिलथे। अऊ लाईन नई लगाबे त कब तोर हक ल बेच खाही तेखर ठिकाना नई हे।
फेर जीवराखन के बात ल कतकोन झन सुनत हे अऊ कतकोन झन ह आस म बइठे हे के नवा सरकार आही त ए दारी धान के कीमत ह बाढ़ के मिलही।

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