मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

तो विधायकेच ह जोजवा हे...


चुनई होगे, सरकार बनगे, काम बुता धलो शुरू होगे फेर रामलाल ह खुश नहीं हे। वों हा सोचे रीहिस के नेता ह चुनाव जीतही तहां ले सबले पहिली त दारू भट्टी ल हटवाऊं । गांव में अशांति के इही ह जड़ हे। टुरा मन ह बिगड़त हे पी पा के घोन्डत हे अऊ दिन रात गारी गल्ला करत रथे। दु झन ह एस्कीडेंट म कर घलो मरगे त जानकारी के मामला घलो ह बाढ़ गे हे। पियईया टुरा मन ह झीम झाम देखथे तहां ले कुछ काहीं ल दारू पीये बर बेच बाच घलो देथे। फेर रामलाल के खरी सपना ह टूट गे। विधायक बपरा ह मुख्यमंत्री तीर घलो गीस, लिखा पढ़ी घलो करीस फेर दाऊ भट्टी ह थोड़के नई खसकीस। उल्टा कलेक्टर ह साफ कही दिस के भट्टी नई हट सकय। अतेक कमई वाला भट्टी हे। कछेरी के बाबू मन ह घलो काहत हे के नवा ठेका होही तहां ले महिना बंधा लेबे। उल्टा रामलाल ल कही दिस जादा लंदर फंदर मत कर नहीं त उल्टा तही फंस जबे।
रामलाल ह सोचीस चल सड़क पानी बर कछु कर लेवव फेर विधायक संग घुम घुम के थक गे कुछु नई होवत हे। लिखा पढ़ी चलतेेच हे। हमरे सरकार तभो ले अतेक झंझट ल देख के रामलाल ह अब मन मार के कलेचुप बईठ गे हावय।
विधायक घलो ह नवा नवा खेल देख के अचंभा म हे। चुनाव लड़े के बेर का का नई सोच रीहिस फेर मंत्री अऊ अधिकारी मन के गोठ ल सुन के मुंह ल फार दे हावय। जिहां पावत हे तिंहा ओखर आव भगत त होवत हे फेर जहां काम के बात शुरु करथे ओखर बात ल कोनो नई सुनत हे।
जुन्ना विधायक ह त लड़ झगड़ के कुछ कांही काम ल करवा डारत रीहिस फेर ए ह सत्ता पक्ष वाला हे झगड़ा झंझट घलो नई कर सकत हे उल्टा पार्टी वाला मन ह दबकार देथे के जादा बात झन कर तोर काम ह होही। फेर काम ह कब होही ए बात ल न त विधायक ह समझत हे अऊ न रामलाल ल समझ आवत हे।
चुनाव जीते के दुसर दिन कतका डींग नई हांके रीहिन अब मुंह लुकाय बर पड़त हे। उल्टा दाऊ पियईया मन ह अलग गुसियात हे। माई लोगीन मन ह त विधायक ल जोजवा घलो कही दिन तभो कुछ नई होवत हे।
ए गोठ ह राम लाल भर के नई हे। अऊ कई झन मन के हे। सड़क बिजली पाानी स्कूल जेती देख तेती बुरा हाल हे। अऊ विधायक मन ह सरकार डहार मुंह फारे देखत हे उंखरो बात ल सुनही। महासमुंद के विधायक उपर त दारू ठेकेदार के गुण्डा मन ह हमला घलो कर दिन। पुलिस ह कुछ नई करीस त बपरा ह धरना म बइठीस त गृहमंत्री ह उल्टा कही दिस के विधायक ह दाऊ पीके धरना म बइठे हे। बपरा विधायक ह का कतीस मन मार के रहीगे। सरकार ह दाऊ के कमई ल छोडऩा नई चाहय त कोनो का कर सकत हे।

बुधवार, 19 फ़रवरी 2014

ए दे कुकुर घलो ह बघवा बनगे...



चुनई के पहिली राम लाल ह जब किहिस के आजकल त जेन ल देख तउने ह नेता बने घुमत हे। अपन घर के वोट के ठिकाना नहीं हे बस्ती-पारा के वोट देवाबो कही के नेता मन ल जटत हावंय, अपन ल धोय नहीं सकत हे, अऊ दुनिया बाहिर ले गोठियावत हे, चोरहा मन ह साहुकार बने घुमत हे अऊ कुरहा मन घलो अआाब झाड़त हे, कुकुर ह बघवा बन गे घोर कलयुग आ गे हे त जम्मो झन ह कतका नई हांसे रीहिन।
ए हांसी म रामलाल ह वो दिन कतका गुसियाय रीहिस। अऊ केहे रीहिस राह के अभी मोर बात ल हांसत हावव। चोरहा नेता मन के पाछु घुमत हौ पटवारी अऊ पुलिस ल पइसा खवा के अपन काम ल निकलवावत हावव। अइसने चलत रही त देखहु गुण्डा मन ह राज करही अऊ पुलिस ह तमाशा देखही तब रोवत बइठे रहु।
रामलाल के गोठ ल कोन घरीन अऊ कोन छोडिऩ तेखर त पता नहीं हे फेर जेन किसिम ले आजकल अतियाचार होवत हे तेन ल देख के कतकोन झन मुंह ल फार देवत हे। पुलिस वाला मन घलो काय करय आधा कस बल त उंखर नेता मंत्री मन के चाकरी म लग जात हे। अब नवा राजधानी मन चार झन नवईया नहीं हे फेर चउक-चउक म अकेल्ला खड़े रथे। यहा धाम म अकेल्ला खड़े-खड़े कोनो बने सोच सकत हे जी ह त गुसियाबे करही फेर ए गुस्सा ह कहं निकलही जिहां बात चलथे तिंहा निकालत रथे।
अब विधानसभा म भुपेश बघेल ह कतको बोलत रहाय के ए सरकार ह करम के नहीं हे। रोज हत्या जनाकारी होवत हे। फेर कोनों ल फटक नहीं पडय़। पुलिस वाला मन ह घलो नेता मन संग रही रही के अपन चमड़ी ल मोटा कर डारे हावय। जब नेताचमन ह
वो दिन बिसहत ह काहत रीहिस झन पूछ महराज आजकल भलई के जमाना नही हे। भलई का तहां ले घोड़को उंच नीच हांगे त वर्दी वाला मन ह अइसे छुछुवाथे के कुकुर घलो केतक खा जाही। फेर बिसहत ल घलो माने ल पड़ही। लोगन मन के भलई बर भीड़ीच जथे।
पउर त वो ह कान घर के किरिया घलो खा डरे रीहिस फेर आदत ह नहीं जावय। कभु वो खर तीर तराव म रूतबा रीहिस। पुलिस वाला मन घलो वोखर आगु पाहु धुमत रहाय फेर जब ले वो ह सरपंची ल छोड़ीस हे उही पुलिस वाला मन ओखर बर बघवा बन गे हे। अइसे गुरवित हे जानो मानो बिसहत ल खाईच डारही। फेर बिसहत घलो कम नहीं हे भले चुनई नई लड़े के कसम खाय हे फेर भलई को बर नहीं छोडय़ पटवारी अउ पुलिस डहार ले बदमाशी देखथे त भीड़ीच जाथे अब वोला कोन समझाया के जमाना बदल गे हे शेर मन ह विंचरा म रथे अऊ कुकुर मन ह बघवा बने घुमत हे।
चोरहा मन ल छोड़ाय बर फोन करत हावय त ओमन ह काबर पाहु रही। तेखरे खेती कहु मन ह बइसने होगे हावय।