बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

करम फुटहा खेती करय...


छत्तीसगढ़ राज ल बने बारा साल होगे अऊ बारा साल म छत्तीसगढ़ के बारा हाल घलो होगे। मंत्री ले के अधिकारी मन के मजा हे। थोड़ बहुत मजा शहर वाला मन घलो लेवथ हे फेर गांव अऊ किसान दुनों के हाल बेहाल हे।
राज बनीस त सोचे रेहेन। गांव अऊ किसान दुनो के दिन ह फिरही फेर कुछु नई होईस। न गांव म पिये के पानी के सुविधा बाडि़ेस न खेती बर पानी के बेवस्था होईस। स्कूल अस्पताल के त बातेच करना बेकार हे।
जब राज नई बने रीहिस त जम्मो इल्जाम ल मध्यप्रदेश ऊपर डारन। हमर इहां के सिचाई योजना कोती धियान नई हे। पम्प बर बिजली के कनेक्शन नई देवय अऊ इहां के किसान के उपज के घलो भाव नई मिलय। अड़बड़़ गुस्सा रीहिस। अऊ जब राज बनीस त लगीस के अब गांव अऊ किसान दूनो ल राज बने के फायदा मिलही।
फेर हाल ह जस के तस हे। बारा साल म न तो सिंचाई के रकबा बाढि़स अऊ न तो पम्प कनेक्शन बर बिजली ह आसानी से मिलत हे। उल्टा हमर खेत खलिहान, गांव गोष्ठान ह विकास के नाम म बरबाद होवत हे।
जगह-जगह उद्योग लगाय बर खेती के जमीन ल जबरिया दिये जात हे अऊ बांचे खेती ह परदुषण के मारे परिया परत हे। उद्योग मन के बोर करई के मारे पानी नई निकलत हे अऊ गांव-गांव म बिजली कटौती चलत हे।
खेती ल उद्योग के दरजा देके मांग ल कोनो नई सुनत हे अऊ किसान मन के फसल के कीमत ल लेके राजनीति चलत हे। धान के बोनस के राजनीति म किसान ह घानी असन पेरावत हे फेर कोनो धियान नई देवत हे।
मुख्यमंत्री रमन सिंह ह चुनाव के पहिली के बजट घलो म किसान मन बर कुछु खास नई करीन। न सिंचाई योजना के पता हे न करजा म डूबत किसान के बारे म कुछु सोचिन। हां 270 रू. बोनस के बात जरूर करे हे। लेकिन ये पहिली घांव नई हे एखर पहिली भाजपा ह अपन घोषणा पत्र म 270  रूपया बोनस देके बात करे रीहिस फेर अब जाके ओखर सरकार ह एला पुरा करबो काहत हे।
खेती किसानी के हाल ह दिनों दिन बेहाल होवत हे। खेती अपन सेती तहिया के गोठ के मारे बड़े किसान मन ह असकटा के शहर डाहर अपन जीविका के जुगाड़ म लग गे हे अऊ छोटे किसान ह दिनों दिन करजा म लदात जात हे। जिखर कोनो पूछन्ता नई हे। उपर ले थोड़ बहुत जेन किसान ह करजा बोड़ी ले के हिम्मत करथें त नकली बीज अऊ नकली खाद ह ओखर खटिया रेंगाय के बेवस्था कर देथे।
12 साल म सबले जादा राज रमन सरकार ह करे हे अऊ खेती के बरबादी घलो मनमाने होय हे। सोसायटी के चक्कर लगा लगा के किसान मन के बुरा हाल हे फेर बेवस्था जस के तस हे।
तभेज-त जुन्ना सियनहा मन ह काहय-
करम फुटहा खेती करय
अकाल पडय़ नई त भाव गिरय।
बने फसल हो जथे त भाव गिर जथे नई त सरग भरोसा खेती म अकाल ह त तय हे।

शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

हमर राज अऊ हमर भाखा...


आज कल हर समाज के बड़े-बड़े बइठका होवत हे। चुनई ल देख के समाज के नेता मन ह अपन ताकत दिखाय के उदीम करत हे। भगवा अऊ खादी के पट्टा बांधे के उदीम म समाज के कतका हित होवत हे एला त कोनो नई बता सकय फेर कुरसी पाय के ए उदीम ल देख के गांव-गांव म कतकोन गोठ होवत हे।
आज कल बइठका ल सम्मेलन कथे अऊ इही बइठका म दूसर समाज के नेता मन ल बुलाय जथे। मंत्री-विधायक होय चाहे सांसद होय दूसर समाज के बइठक म दांत निपोर के आ जथे अऊ समाज के नेता मन के खुशी के ठिकाना नई राहय। बात इहें नई सिरावय। मनमाने हिन्दी झाड़थे अऊ छत्तीसगढ़ी बोले म लाज आथे।
तभे त वो दिन समारू ह अपन समाज के बइठका ले अइस त अब्बर गुसीयागे। अऊ कहत घुमत हे जेन समाज ह अपन भाखा ल छोड़ देथे वो ह मर जथे। फेर नेतागिरी के चक्कर म आजकल हर छत्तीसगढ़ी समाज के इही हाल होगे हे। समाज के नेता मन ह मनमाने हिन्दी झाड़थें अऊ नई आवय तभो अलकरहा बोल के अपने मजाक उड़वाथे।
समारू के गुसीययी ल त मे ह नई जानव फेर ओखर एक ठन बात ह मोला नीक लागीस के जब हर समाज ह अपन भाखा म गोठियाय म नई लजाय त हमन कार लजाथन।
सुभाष स्टेडियम म सतनामी समाज के गुरू बाल दास ह 10 तारीख के गरियात रीहिस। हमर राज जब तक नई बनही। छत्तीसगढ़-छत्तीसगढ़ी अऊ छत्तीसगढिय़ा के भला नई हो सकय। चुनई आवत हे अऊ हमला अपन राज खातिर तैयार रहना चाही। बाल दास के पीरा आज हर छत्तीसगढिय़ा के पीरा हे। उही मन ह दोगलई करत हे जेन मन ह भगवा-खादी के पट्टा बांध ले हे। नंदकुमार साय ह कहत हे आदिवासी मुख्यमंत्री बनना चाही। नड्डा ह ए बात ल नई मानय न समझ म आथे फे र पैकरा ह घलो एला नकारथे त सवाल उठथे।
आखिर छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढिय़ा मन ह राज नई करही त कोन करही। कब तक परबुधिया अऊ मीठलबरा बन के अपन गोड़ म पथरा पटकहीं।
राज बनिस त कतका खुशी होय रीहिस। लगात रीहिस के इहां के बेरोजगार छोकरा मन ल नौकरी मिलही गांव-गांव म स्कूल कालेज अऊ अस्पताल खुलही। हमर हीरा खदान के हीरा ले खुशहाली छा जही अऊ राम राज आ जही। फेर राम राज के बात करईया मन ह अइसे बांध तरिया नदियां ल बेचीन के कोयला के कालिख ह नई पोछावत हे। अऊ  बपरा जनता ह पेरावत हे। अपने समाज के नेता मन ह पट्टा पहिन के धोखा देवत हे अऊ चुनई म फेर कुरसी पाय के उदीम करही। समारू जानथे ए बात ल तभे त सब झन ओखर गुस्सा म ओला बैझड़ कथे।

गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

कांव-कांव - हांव-हांव अऊ खांव-खांव॥


छत्तीसगढ़ म ए साल होवईया विधानसभा चुनई के पहिली जम्मो डहार तमाशा चलते हे। जेती देखबे तेती खाली हांव-हांव अउ कांव कांव होवत हे। भाजपाई मन ह कुरसी बचाए खातिर लगे त कांग्रेसी मन ह कुरसी पाए खातिर उदिम करत हे। फ़ेर छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अऊ छत्तीसगढिय़ा मन के फि़कर कोनो ल नई हे।
बारा बच्छर होगे राज बने। पुरखा मन एखर सेती राज के सपना नई देखे रीहिन के नेता मन ह कुरसी बर लड़ही अऊ अपन पेट अऊ अपन परिवार बर बेवस्था म लग जाही।
दुकालु ह बने कथे, राज के मांग एखर सेती होए रीहिस के हमर राज बनही त बिकास के नदिया बोहाही। हमर बिजली म हमर घर अंजोर होही। अऊ इंहा के पढ़े लिखे लईका मन ल नौकरी मिलही। खेत-खेत म पानी पहुंचही अऊ गांव गांव म सिक्छा अऊ डॉक्टर पहुंचही। का होईस बारा साल म?
9 साल होगे डॉक्टर रमन सिंह ल बईठे। गांव के गरीब किसान मन बर का करीस। उल्टा खेती के जमीन म उद्योग खुल गे। बिजली पानी ल घलो उद्योग ल बेचत हे अऊ मंहगाई के मार म सांस लेना मुस्किल होवत हे।
ए बात नई हे के रमन सरकार ह नौ साल म केवल खवई बूता करे हे, कुछु नई करे हे। फ़ेर जेन कुछ होए हे वईसन त होतेच रहिथे। नवा का होईस अऊ सरकार ह का करीस कोनो नई बता सके। सरकार तीर घलो ए बात के जवाब नई हे के छत्तीसगढिय़ा मन के बिकास खातिर ठोस योजना काए बनाए गीस।
सरकार ह अठरा ले सत्ताईस जिला कर दिस, फ़ेर एखर फ़ायदा काए हे, जब खेल ल पानी नई पहुंचही। लईका मन ल पढे जाए बर भटके ल परही अऊ बीमारी के ईलाज बर दसियों कोस जाए ल परही। सड़क बनाए ले कुछु नई होवय। स्कूल खोल दिस त गुरुजी के पता नई हे।
राज बन गे हे फ़ेर इंहा के पढे लिखे लईका मन बर आज ले सरकारी नौकरी के दरवाजा नई खुले हे। पढे लिखे लईका मन ल सिक्छा करमी बना दे हे अऊ ओखरो मन के सोसन चलत हे।
एक तरफ़ त भाजपा एफड़़ीआई के बिरोध करत नई थकत हे लेकिन दुसर कोती छत्तीसगढ़ म बईठे रमन सरकार ह घलो वइसनेच काम करत हे। सरकारी स्कूल अऊ सरकारी अस्पताल के धुर्रा बिगाड़ दे हे। तेखरे सेती जगा जगा निजी अस्पताल अऊ निजी स्कूल खुलत हे अऊ आम आदमी हं अपने पेट काट के निजी डहर दउड़त हे।
सरकार ह घलो जानथे के गांव म रहवईया मन ह गरीब होथे अऊ न ढंग से पढ़ सकय न ईलाज करा सकय तब सरकार ह नवा राजधानी बनाए के बजाए हर बिकास खंड म रायपुर के मेकाहारा जइसे अस्पताल खोले के योजना काबर नई बनाईस। राज्योत्सव मनाए बर करोड़ों रुपया फ़ूंक देथे। लेकिन स्कूल अस्पताल अऊ पानी खातिर रोना रोथे।
अब चुनई आगे त हांव हांव करत हे। अतेक दिन ले जम्मो डहार खांव-खांव चले हे। आखिर ये कब तक ले चलही। जनता ह त टुकटुकी लगाए देखत हे।

पेलिहा ले पंगनहा हारय


परन दिन खल्लारी के मड़ई म बिसरु ल भेंट डारेवं। पूछेवं कईसे बिसरु का हाल-चाल हे। धान-वान बने हो ए हे?
अतका ल सुनिस तहां ल बिसरु बईहा होगे। का महाराज आजकल आस जास नहीं। जा के गाँव ल देख धान-पान  ल चाटबो। ग़ांव ह बिगड़त हे। आजकल के नवा-नवा टूरा  मन ह कखरों नई सुनत हे। भ_ी वाला ह गांवएच म दुकान ल खोल दे हे अउ पीए बर थोड़ बहुत मंद-महुआ बनात रहेन तउना म छेका करथे। अऊ नान  नान टूरा मन ह घलो मन्दु होगे हे। चोरी-हारी बाढ़ गे हे। कुछु ल छोड़े नई सकस। ए दे मड़ई आय हावव तेमा मोर धियान घर डहार लगे हे। झिम झाम देखिस तहां ले कुछु ल उठा के लेग जथे। सित बाबा के घंटी घलो  नई बाजिस। मंदिर देवाला म चोरी हारी होवत हे। घोर कलजुग आगे हे। मय ह केहेवं - छोड़ न बिसरु चार दिन जीना हे, काबर टेंसन ले थस। कईसे फि़कर नई करहूं महाराज। गाँव ल बनाए बर का उदीम नई करे हन। डांड़-बोड़ी ले बर अपन-तुपन नई देखेन। अउ आज जेन ल देख तउने ह दूसर के जीनिस ल हड़पे म लगे हे। अनियाव ला कलेचुप देख कथें। कईसे देखबे? तय कुछु काह गा अनियाव होवत नई देखव। मरते मर जहूं महाराज , फ़ेर गलत के बिरोध ल नई  छोड़वं। तय त पतरकार हस्। बने भसेड़ के छपबे तभे सु्धरही।
बिसरु के बात सुन के मय ह दंग रहिगेंव। ए उमर म घलो वो ह नियाव बर सब ले लड़े-भिड़े बर तइयार रथे। अऊ एक झन उही गाँव के राम लाल हे। वोला अपन सुवारथ के आगु कुछु नई दिखय। ते म त भ_ी वाला मन के दू चार सौ रुपया के सेती गाँव म भ_ी वाला मन ल दारु बेचे बर जगह देहे हे। पेलिहा अतका के लउड़ी बेडग़ा धर के भिड़ जथे। तभे त बिसरु ह कहाय वोला सरपंच झन चुनव, वो ह गांव ल बेच दिही। फ़ेर बिसरु जईसे मन के बात ल कोन सुनथे। आज कल त परबुधिया मन के कोनो कमी नईए। दूचार रुपया बर लुहुर-टुपुर करत रथे। छत्तीसगढिय़ा मन के इही परबुधिया होय के सेती त कतकोइन झन मजा उड़ावत हे। अऊ छत्तीसगढिय़ा मन ह दू रुपया किलो के चांऊर मा भुलाए हे। चुनई आथे चेपटी पाथे। तहां ले जम्मो पीरा ल भुला जथे। दूचार बिसरु असन लड़ईया मन के कोनो पुछन्ता नईए। अऊ जादा होईस त कही देथे, एखर त कामेच इही हे। अब सरकार ह काय काय ल देखही। अऊ बिकास करे म दू चार बांध तरिया, गऊठान त पटाबेच करही। उद्योग ह हवा म नई लगय। खेत खार ल बेच दे के हल्ला करईया मन के का हे वो मन त कोइला के कालिखेच देखत रथे। ए नई दिखते हे के सरकार ह कइसे गरीब मन ल चांऊर देवत हे। पढ़ईया टूरी मन ल सइकिल देवत हे। बिसरु असन मन ल त खाली मंत्री विधायक के गाड़ी अऊ खेत खार के खरीदीच ह दिखथे।