शनिवार, 7 फ़रवरी 2015

तहीं इज्जत नहीं करबे त दूसर ल का परे हे...


छत्तीसगढ़ राज बनगे अब छत्तीसगढ़ी भासा बर आंदोलन होवत हावय, विधानसभा ले लेके सड़क तक लड़ई चलत हे। स्कूल-कालेज म पढ़ाय के उदीम घलो होवत हावय फेर मामला ह हर घांव अटक जाथे।
कोनो भी राज के विकास बर उहां के भाखा-बोली के खास महत्व हे ए बात ल छत्तीसगढिय़ा मन ह कब समझही। जब तक अपन भाखा के इज्जत नहीं होही देश दुनिया म राज के इज्जत कइसे होही। गांव-गांव म रहवईया मन म हीन भावना आ जथे के वोला हिन्दी अऊ अंग्रेजी बने ढंग के नई अवय। अऊ जब कखरों म हीन भावना आ जथे त न वो ह बने ढंग के गोठियाय सकय न अपन परेशानी ल बताय सकय। तभे त अफसर मन तीर बोले म हिचकथे।
एखर सेती हमर मानना हे के जब तक छत्तीसगढ़ी ह सरकारी काम काज के भासा नहीं बनहीं छत्तीसगढिय़ा मन के विकास होना मुश्किल हे।
अतका छोटे से बात ल इहंा के नेता मन काबर नहीं समझय। वो मन काबर छत्तीसगढ़ी ले भागत हे। तउन समझ म नहीं आवय। वोट पाय बर छत्तीसगढ़ी बोलही अऊ जीत जही तहां ले मनमाने हिन्दी अंग्रेजी झाड़थे।
मोला हेमलाल के पीरा ह आज ले सुरता हे। बपरा ह नवा नवा सरपंच बने रीहिस। गांव के विकास के ओला अड़बड़ चिंता रीहिस। गांव के समस्या ल ले के मंत्री तीर गीस। मंत्री ह छत्तीसगढिय़ा हे फेर हेमलाल तीर अइसे हिन्दी झाड़त रीहिस के ओखर जी खिसियागे। सीधा सीधा कही दिस देख गा वोट मांगे बर आथस त छत्तीसगढ़ी म गोठियास आरस मंत्री बन गेस त तोर पॉवर हे अतेक बाढ़ गे। मोरेच तीर हिन्दी झाड़त हस अइसने तोर हाल रही त तोर नेतागिरी ह कब सिराही तहीं गम नहीं पावे।
उहां ले आके हेमलाल ह गांव वाला मन तीर अपन पीरा ल कतका नहीं गोठियाय रीहिस। अऊ आज हेमलाल के बात ह सिरतोकेच होगे। मंत्री ह चुनाव हार गे। ओखर अता पता नहीं हे।
रमन सरकार के हैर्टिक के शपथ ग्रहण म हिन्दी म हावथ लेवत देख आज मोला हेमलाल के गोठ-बात ह सुरता आगे। एक झन बृजमोहन अग्रवाल ल छोड़ कोनो छत्तीसगढ़ी म शपथ नहीं लीन। जेन बृजमोहन अग्रवाल ल सब झन परदेशिया कथे तेन ह छत्तीसगढ़ी म शपथ लीन अऊ जेन मन ह छत्तीसगढ़ी के नाम देश दुनिया म करना चाही तउन मन ह हिन्दी झाड़त रीहिन।
मैं ह हिन्दी भासा के विरोधी तो हंव न मोला हिन्दी बोलईया मन ले कोनो दिक्कत हे। हमर देश के भासा हे फेर मे हा अतका जानथौ के जेन ह अपन भासा के इज्जत नहीं करय वो भासा ह त समाप्त होही जथे ओखर संस्कृति ह घलो नस्ट हो जथे। अऊ वो ह इतिहास म पेढ़ के लइक रही जथे। जेन ह अपन भासा के इज्जत नहीं करय ओखर ईज्जत चलो कोनो नहीं करय।
अऊ इही हाल छत्तीसगढिय़ा नेता मन के रही त छत्तीसगढ़ के विकास कइसे होही। हमर जीयो अऊ जीयन दो के संस्कृति के का होही तेखर सेती समय रहत चेतावत हौ बाद म पछताय के सिवाय कुछु नहीं बाचहीं। 

सोमवार, 24 मार्च 2014

जेती मिलथे वोती वोट ह गिरथे


लोकसभा चुनई होने वाला हे। जेन मन ह चुन के दिल्ली जाही। उही मन ह देश ल चलाही। देश ल का चलाही अपन रवीसा ल भरे के उदीम जादा करही। तभे त जम्मो डहार चुनई के सोर हे। जेन ल देख ले उही चोर हे। महंगाई के मारे जनता त्रस्त हे अऊ नेता मन ल देख ले कइसे मस्त हे।
वो दिन राम सिंह ह कही पारीस ऐसा फागुन तिहार ह तिहार असन नई लागीस। न नंगाड़ा बजईया के ठिकाना हे न फाग गवईया के पता हे। बाजा ल लगा देथे अऊ पी खा के कुदत रथे। अब त कोनो ह लाल हे घलो नई चिचियावय। जम्मो झन ह अपन आप ल शरीफ जताय बर लगे हे पहली एक दु दिन गारी गल्ला कर के अपन मन के शैतान ल निकाल देवय आजकल त अइसे शरीफाई दिखाथें अऊ साल भर मन म पाप भरे रथे। काखर का जिनिस ल झटकन कइसे अपन घर भरन इही म धियान रथे। मोबाईल आ गे हे त बात बात म लबारी मारत रथे।
वो दिन बरदिहाच ल कही पारेव ए दारी बरवाही ल छोड़ देते त कइसे तमतमागे रीहिस। साफ मना कर के रीहिस। नहीं छोड़व गा कही के गुर्रा दे रीहिस।
राम सिंह के गोठ त छोड़ वो ह त अइसने बोलत रथे। फेर ऐसो निहाली ह घलो कही डारिस सादगी ले मनाबो। निहाली ल कोन समझावत हे आखिर नेता गिरी म तीर तार म ओंखर रूआब हे फेर कोन ह वोला रोतकीस। फेर तिहार के दिन कतकोन झन बकबका गे अऊ अपन रंग म अइसे मातगे के झन पूछ।
जिवराखन ह त भइगे अइसे तिहार मनाईस के तीर तार के मन ह घलो ओखर रंग म रंग गे। अऊ निहाली ह चिचियावत रहिगे फेर तिहार बार के कोनो सुनही। लइका मन ल त तै हा समझाच नई सकस।
तिहार के बिहान दिन नेता जी घलो धमक गे। अऊ भाषण घलो दे डारिस के ए दारी मोला अऊ जिता दव शिकायत के कोनो मौका नई दुहु जइसे कहु तइसने करहु। ए झन लपरहा ह कही दिस पउर परीहार घलो अइसने केहे रेहे गा ते हा नई सुधरस ए दारी हमी मन ह सुधर जथन। सांझ होत होत लपरहा के बुलावा आगे। को जनी का गोठबात होईस के रतिहा गौरा चौरा म वो ह नेता जी के माला जपत रीहिस। तभे त वो दिन जिवराखन ह कहाय कखरो ठिकाना नई हे गा। जेती मिलथे तेती वोट ह गिरथे। देखस नहीं राज करे बर जम्मो पार्टी वाला मन ह कइसे कइसे उदीम करथे। गुण्डा बदमाश ल घलो टिकिट देवत हे अऊ एक दुसर के मुंह नहीं देखईया मन ह एकेच मंच म बइठत हे। हमी मन ह वेबकूफ हन ...।

शुक्रवार, 14 मार्च 2014

सब गदहा मन बाहिर के हे...


छत्तीसगढ़ बने तेरह बछर बीत गे। रइपुर ह राजधानी बन गे। गाड़ी-घोड़ा के ठिकना नहीं हे। जेती जाबे तेती मनखेच-मनखे दिखत हें। कतकोन रस्ता म त रेंंगे के सोर नहीं हे फेर कइसे फटफटी चलावत रथे। का लइका का सियान। भई भई चलावत हे। में ह त झपावत झपावत रही गेव। जिवराखन ह राज बने के बाद पहिली घांव रायपुर आय रीहिन हे। अऊ टेशन ले घर पहुंचत बपरा ल एक घंटा लग गे रीहिस। आतेच उत्ता धुर्रा बोले लागीस। कइसे महराज। कइसे रथो ए शहर म। कतका बदल गे हे। राज बने के पहिली आय रेहेव त अतेक भीड़ नहीं रीहिस। टेशन म उतरव तहां ले 10 मिनट म आ जात रेहेंव। फेर ए दारी जी ह असकटा गे। का लइका का सियान भांय भांय गाड़ी ल दबाथे। के घांव जी ह नहीं कांप गे अइसे लागय मांरेच उपर चढ़ा दीही। बीच रोड म गाड़ी ल खड़ा कर देथे। केती ले बुलकबे ते हा सोचतेच रथे कोनो फटफटी वाला ह तोर ले पहीली बुलक जाही अऊ हारन ल अइसे बजाथे के पोटा कांप जाए। तभे त मेहा नहीं आवंव। मरे के पाहरों म एक्सीडेंट होके नहीं मरव।
एकेच सांस म जीवराखन ह  राजधानी के टै्रफिक के अइसे गुणगान कर डारीस के का बताव। के जगह बपरा ह झपावत झपावत त घर आय रीहिस। मे हर केहेव पानी पसीया खा पी ले तहा ले घुमे बर जाबों। घुमे जाय बर ले दे के मानीस। घुमे बर ओखर सवाल शुरु होगे त मे हा समझावत वोला मॉल ले गेव। गाड़ी ल पार्किंग डहार उतारेक तहां ले वो हा मोला चिमचिमा के अइसे धर डारिस जानो मानों वो ह गिरीच जही। गाड़ी ल खड़ा करके लिफ्ट ले वो ला उपर लेगेंव त वो ह बकवा गे रहाय। इतवार के सेती भीड़ रीहिस। इहों भीड़ ल देख के वो खट मन ह बइठ गे। थोड़ेकेच देर म जीवराखन ह असकटा गे अऊ घर जाय के जिद करे लागीस निकलन तहां ले धोड़कीन देर म फेर ओखर शुरु होगे। कस गा महराज असकट नहीं लागय। जेती जाबे तेती खाली गाड़ीच गाड़़ी अऊ मनखेच मनखे दिखत हावय। मे ह केहेव आदत पडग़े हे गा। तहु दुचार दिन रहीबे तहां ले तुहरो आदत पड़ जाही। ते ह घुमे म धियान दे न ऐती तेती देख अऊ कुछु काही बिसाना हे त चल मॉल जाबो।
मॉल काला कथे कहीके त महु केहेव चल भई। भीड़ भाड़ ल देखत घर पहुंचन तहां ले जीवराखन ह शुरु होगे। कस महराज राजधानी बनीस त कहां ले अतेक मनखे आगे एमन ल न रेंगे ल आवय न बने गाड़ी चलाय। अब जीवराखन ल मैं का समझातेव। मोला भोपाल के किस्सा ह सुरता आगे उही ल सुना डारेंव।
एक घांव भोपाल गे राहन त टीटी नगर डाहर एक बाजु अड़बड़  गदहा दिखीस त मोर संगवारी ह पूछ पारीस। कइसे भईया ईहा  बहुत गदहा हे त आटो वाला ह तुरते केहे रीहिस राजधानी हे साहेब सब डहार के गइहा मन इहां आबेच करथे...!

सोमवार, 3 मार्च 2014

कइसे चिनबे कोन गधा हे अऊ कोन घोड़ा हे...


चुनई आवत हे, अऊ नेता मन ह फेर चिचियावत हे। एक दूसर ल गारी देवईया मन ह फेर एक होवत हे। सत्ता पाय बर नवा नवा उदीम करत हे। भाजपा ह साम्प्रादियक कहने वाला रामविलास पासवान ह ओखर गोद म बइठत हे त मुख्यमंत्री रमन सिंह ल पानी पी पी के गारी देवईया दीपक साहू ह स्वाभिमान मंच ल भाजपा म मिला दिस। स्वाभिमान मंच ल भाजपा म मिले ले छत्तीसगढ़ म भाजपा के ताकत बाढ़ गे अऊ छत्तीसगढिय़ा नेता मन ह फेर मुंह फार दिन। देश भर म आजकल इही चलत हे। भाजपा ह नरेन्द्र मोदी ल हर हाल म प्रधानमंत्री बनाना चाहत हे अऊ उखर जोरदार तैयारी घलो करत हे तभे त वो दिन राजनाथ ह मुसलमान मन ले माफी घलो मांग लीन। सर्वे कंपनी वाला मन घलो पइसा खा खा के बतावत घुमत हे के ए दारी नरेन्द्र मोदी ह प्रधानमंत्री बनने वाला हे। तभे त वो दिन बैसाखु ह घलो नमो नमो जपत रीहिस। कभु मंदिर देवाला के नाम म गुसियाने वाला बैसाखू के मुंह ले नमो नमो सुन के जम्मो झन चकरा गे। पूछ पारिन कइसे बैसाखू कभी विधानसभा चुनाव ल होय दु महिना घलो नहीं बीते हे। ते ह त भाजपा ल पानी पी पी के गारी देवत रेहेस अऊ तोरे सेती भाजपा ह हारीस घलो हे फेर अचानक का होगे के नमो नमो जपत हस त बैसाखू ह हांस हांस के बतावत हे के ओखर मंच ह भाजपा म शामिल होगे हावय अऊ अब ए दारी भाजपा ल जीताना हे।
निहाली ह कतका नहीं केहे रीहिस के बैसाखू के गोठ म झन जावव एखर कोनो ठिकाना नहीं हे। पल म तोला पल म मासा वाला हे। हर चुनाव म नवा नवा पार्टी धर के आ जाथे अऊ सबला बरगलावत रथे।
छत्तीसगढ़ म त दु ए ठन पार्टी के जोर रथे। विधानसभा चुनाव म कतका हो हल्ला नहीं मचे रीहिस फेर का होईस। सरकार त भाजपाच के बनीस। अच्छा-अच्छा तुर्रमखान मन ह निपट गे।
अब लोकसभा के चुनई होवईया हे। ए दारी आम आदमी पार्टी ह हल्ला मचावत हावय। नवा नवा पार्टी के नवा नवा नारा सुन के कतकोन झन झपावत हावय। दिल्ली म आम आदमी पार्टी के सरकार का बनीस बिसहत ल लागथे के इहों ओखरे सरकार बन ही। वो दिन ले काम बुता ल छोड़ के भिड़ गे हावय। वइसे बिसहत ह त दस साल पहिली ले काहत रीहिस के ए भाजपा-कांग्रेस ह नाम भर के अलग पार्टी हे। बिसहत असन कतकोन झन आम आदमी पार्टी म चल दे हावय। फेर बेईमान मन घलो आम आदमी पार्टी म दिखत हावय। अब कोनों ल समझ म नई आवत हे के कोन गधा हे अऊ कोन घोड़ा हे।

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

तो विधायकेच ह जोजवा हे...


चुनई होगे, सरकार बनगे, काम बुता धलो शुरू होगे फेर रामलाल ह खुश नहीं हे। वों हा सोचे रीहिस के नेता ह चुनाव जीतही तहां ले सबले पहिली त दारू भट्टी ल हटवाऊं । गांव में अशांति के इही ह जड़ हे। टुरा मन ह बिगड़त हे पी पा के घोन्डत हे अऊ दिन रात गारी गल्ला करत रथे। दु झन ह एस्कीडेंट म कर घलो मरगे त जानकारी के मामला घलो ह बाढ़ गे हे। पियईया टुरा मन ह झीम झाम देखथे तहां ले कुछ काहीं ल दारू पीये बर बेच बाच घलो देथे। फेर रामलाल के खरी सपना ह टूट गे। विधायक बपरा ह मुख्यमंत्री तीर घलो गीस, लिखा पढ़ी घलो करीस फेर दाऊ भट्टी ह थोड़के नई खसकीस। उल्टा कलेक्टर ह साफ कही दिस के भट्टी नई हट सकय। अतेक कमई वाला भट्टी हे। कछेरी के बाबू मन ह घलो काहत हे के नवा ठेका होही तहां ले महिना बंधा लेबे। उल्टा रामलाल ल कही दिस जादा लंदर फंदर मत कर नहीं त उल्टा तही फंस जबे।
रामलाल ह सोचीस चल सड़क पानी बर कछु कर लेवव फेर विधायक संग घुम घुम के थक गे कुछु नई होवत हे। लिखा पढ़ी चलतेेच हे। हमरे सरकार तभो ले अतेक झंझट ल देख के रामलाल ह अब मन मार के कलेचुप बईठ गे हावय।
विधायक घलो ह नवा नवा खेल देख के अचंभा म हे। चुनाव लड़े के बेर का का नई सोच रीहिस फेर मंत्री अऊ अधिकारी मन के गोठ ल सुन के मुंह ल फार दे हावय। जिहां पावत हे तिंहा ओखर आव भगत त होवत हे फेर जहां काम के बात शुरु करथे ओखर बात ल कोनो नई सुनत हे।
जुन्ना विधायक ह त लड़ झगड़ के कुछ कांही काम ल करवा डारत रीहिस फेर ए ह सत्ता पक्ष वाला हे झगड़ा झंझट घलो नई कर सकत हे उल्टा पार्टी वाला मन ह दबकार देथे के जादा बात झन कर तोर काम ह होही। फेर काम ह कब होही ए बात ल न त विधायक ह समझत हे अऊ न रामलाल ल समझ आवत हे।
चुनाव जीते के दुसर दिन कतका डींग नई हांके रीहिन अब मुंह लुकाय बर पड़त हे। उल्टा दाऊ पियईया मन ह अलग गुसियात हे। माई लोगीन मन ह त विधायक ल जोजवा घलो कही दिन तभो कुछ नई होवत हे।
ए गोठ ह राम लाल भर के नई हे। अऊ कई झन मन के हे। सड़क बिजली पाानी स्कूल जेती देख तेती बुरा हाल हे। अऊ विधायक मन ह सरकार डहार मुंह फारे देखत हे उंखरो बात ल सुनही। महासमुंद के विधायक उपर त दारू ठेकेदार के गुण्डा मन ह हमला घलो कर दिन। पुलिस ह कुछ नई करीस त बपरा ह धरना म बइठीस त गृहमंत्री ह उल्टा कही दिस के विधायक ह दाऊ पीके धरना म बइठे हे। बपरा विधायक ह का कतीस मन मार के रहीगे। सरकार ह दाऊ के कमई ल छोडऩा नई चाहय त कोनो का कर सकत हे।

बुधवार, 19 फ़रवरी 2014

ए दे कुकुर घलो ह बघवा बनगे...



चुनई के पहिली राम लाल ह जब किहिस के आजकल त जेन ल देख तउने ह नेता बने घुमत हे। अपन घर के वोट के ठिकाना नहीं हे बस्ती-पारा के वोट देवाबो कही के नेता मन ल जटत हावंय, अपन ल धोय नहीं सकत हे, अऊ दुनिया बाहिर ले गोठियावत हे, चोरहा मन ह साहुकार बने घुमत हे अऊ कुरहा मन घलो अआाब झाड़त हे, कुकुर ह बघवा बन गे घोर कलयुग आ गे हे त जम्मो झन ह कतका नई हांसे रीहिन।
ए हांसी म रामलाल ह वो दिन कतका गुसियाय रीहिस। अऊ केहे रीहिस राह के अभी मोर बात ल हांसत हावव। चोरहा नेता मन के पाछु घुमत हौ पटवारी अऊ पुलिस ल पइसा खवा के अपन काम ल निकलवावत हावव। अइसने चलत रही त देखहु गुण्डा मन ह राज करही अऊ पुलिस ह तमाशा देखही तब रोवत बइठे रहु।
रामलाल के गोठ ल कोन घरीन अऊ कोन छोडिऩ तेखर त पता नहीं हे फेर जेन किसिम ले आजकल अतियाचार होवत हे तेन ल देख के कतकोन झन मुंह ल फार देवत हे। पुलिस वाला मन घलो काय करय आधा कस बल त उंखर नेता मंत्री मन के चाकरी म लग जात हे। अब नवा राजधानी मन चार झन नवईया नहीं हे फेर चउक-चउक म अकेल्ला खड़े रथे। यहा धाम म अकेल्ला खड़े-खड़े कोनो बने सोच सकत हे जी ह त गुसियाबे करही फेर ए गुस्सा ह कहं निकलही जिहां बात चलथे तिंहा निकालत रथे।
अब विधानसभा म भुपेश बघेल ह कतको बोलत रहाय के ए सरकार ह करम के नहीं हे। रोज हत्या जनाकारी होवत हे। फेर कोनों ल फटक नहीं पडय़। पुलिस वाला मन ह घलो नेता मन संग रही रही के अपन चमड़ी ल मोटा कर डारे हावय। जब नेताचमन ह
वो दिन बिसहत ह काहत रीहिस झन पूछ महराज आजकल भलई के जमाना नही हे। भलई का तहां ले घोड़को उंच नीच हांगे त वर्दी वाला मन ह अइसे छुछुवाथे के कुकुर घलो केतक खा जाही। फेर बिसहत ल घलो माने ल पड़ही। लोगन मन के भलई बर भीड़ीच जथे।
पउर त वो ह कान घर के किरिया घलो खा डरे रीहिस फेर आदत ह नहीं जावय। कभु वो खर तीर तराव म रूतबा रीहिस। पुलिस वाला मन घलो वोखर आगु पाहु धुमत रहाय फेर जब ले वो ह सरपंची ल छोड़ीस हे उही पुलिस वाला मन ओखर बर बघवा बन गे हे। अइसे गुरवित हे जानो मानो बिसहत ल खाईच डारही। फेर बिसहत घलो कम नहीं हे भले चुनई नई लड़े के कसम खाय हे फेर भलई को बर नहीं छोडय़ पटवारी अउ पुलिस डहार ले बदमाशी देखथे त भीड़ीच जाथे अब वोला कोन समझाया के जमाना बदल गे हे शेर मन ह विंचरा म रथे अऊ कुकुर मन ह बघवा बने घुमत हे।
चोरहा मन ल छोड़ाय बर फोन करत हावय त ओमन ह काबर पाहु रही। तेखरे खेती कहु मन ह बइसने होगे हावय।

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013

चलनी म दुध दुहे अऊ किस्मत ल दोस देवत हे...


ए ह चलनी म दूध दुह के किस्मत ल दोस देवई तो हय त काय हे। कांग्रेस के इही नीति होगे हे। तेखर सेती जम्मो डहार हरई बुता चलत हे। रहीथे एकेच पार्टी म खाथे एकेच पार्टी के फेर एक दूसर के मुंह ल नई देखे सकय।
छत्तीसगढ़ म त अती हां गे हे। अजीत जोगी, महंत, वोरा, चौबे जतका नेता ततका गुट होगे हावय। एक दुसर के मुख ल नई देखना चाहय। एक दूसर ल नीचा दिखाय के कोशिश म लगे रथे अऊ सोचथे चुनाव जीत जबो अऊ सत्ता घलो पा जाबो। विधायक मन के तेवर ल त झन झन पूछ कथे। नियम कानून अइसे झाड़थे जानो मानो उंखर ले विधवान कोनो नही हे।
छत्तीसगढ़ म कोन ई जानय के कोन ह चुनाव जीतवा सकत हे अऊ कोन ह चुनाव हरवावत हे। तभो ले न हाईकमान चेतय अऊ न ही इहां के नेता मन के अकड़ ह जावय।
ए दारी त बड़े बड़े धुरंधर मन ह निपट थे। एमा के कई झन फेर कभु टिकिट पाही तेखरों ठिकाना नहीं हे। छत्तीसगढ़ म ए दारी सरकार बनाय गे पूरा मौका रीहिस फेर अपन हाथ म गंवा दिन। अऊ हार गे त कलेचुप घलो नहीं रही सकत हे।
अब हारे के कारण गिनावत हे। हारे के बाद घलो नहीं चेतत हे अपन करनी ल छोड़ गे दुसर के करनी ल गिनावत हे। बड़े बड़े नेता बनत रीहिन अऊ अपन क्षेत्र ले नहीं निकले पाय रीहिन अऊ तभो नहीं जीत सकीन।
मोतीलाल वोरा ह कइसनों करके अपन बेटा ल जीता डारीस ल जोगी के घलो बेटा जीत गे। फेर सरकार नहीं बनीस त जम्मो झन दत दत करत हे।
अब कहात हे अध्यक्ष ल बदलो, ठेकाना ल हटाव फलाना ह बदमाशी करीस हे। सांप गुजरे के बाद लाठी पीटे ले का होही फेर कांग्रेसी मन ल कोनो समझा सकत हे। वोमन ह जब करही अपने मनेच के करही। अब फेर पद पर गिद्ध मसान होवत हे। लोकसभा चुनाव ल 6 महीना घलो नहीं बाचे हे फेर लड़ई शुरु होगे हावय। हरईया मन ह अब लोकसभा चुनाव लड़े बर मरत हे। कोनो ह कहुं तिकड़म करत हे त कोनो कुछु करत हे।
लोकसभा चुनाव म कहुं फेर इही हाल रही त पउर एकाक ढन ह बाच के रीहिस ए दारी त एकोच ढन नहीं बांचही। फेर कोन समझाय। एमन ह त चलनी म दूध दूहथें अऊ किस्मत ल दोस देथे। एख्र कुछु ईलाज हे।