सोमवार, 30 सितंबर 2013

जम्मो डहार पईसा के बोलबाला हे


आजकल के टूरा मन ह कालेज पहुंचीन तहां ले भइगे नेता मन के चक्कर म अइसे मोहा जाथे के झन पूछ। रमेसर के टूरा ह त मरगे खादी वाला मन के पट्टा ल गला म ओरमाय खुमत रथे। त बिसहत के टूरा ह भगवा वाला मन के पट्टा लगाय हे।
चंदा-चकारी अऊ बड़े-बड़े गाड़ी में खुमत है अऊ नेता मन के सेवा करत हे। रमेसर समझा डारिस कुहु काम धंधा कर ले बाबू, अतेक पढ़े हस चंदा-चकारी म जिनगी नई चलय इही बात ल बिसहत घलो अपन टूरा ल कथे फेर आजकल के कोन लइका ह दाई-ददा के सुनत हे।
राजधानी म घलो इही हाल हे एनएसयूआई होय चाहे   युवक कांग्रेस, एबीवीपी होय चाहे भाजयुमो जम्मो डाहर टुरा मन ह पट्टा बांधे घुमत हे।राजनीति ह आजकल बेपार होग हे चुनई म मनमाने खरचा कर अऊ जीत गेस त वसुल नहीं त दांत ल निपोर।
रामचरण ह अपन पुरा जिनगी दरी बिछावत गुजार दिस, टु चार हजार नेता मन ह दे थे उही म जिनगी गुजारत हे। जब कमईच नई हे त कहां ले बिहाव करही।
पाटी के बड़े नेता मन ल जय बोलईया अइसने निठ्ठला चाही। देश सेवा के नाम लेके कतेक झन कांग्रेस भाजपा म आय हे अऊ अब पाटी सेवा करत जिनगी ल काटत हे। पट्टा बांधे के आदत अतका पड़ गे हे के अब नेता मन के कातुत ल देख के घलो पट्टा ल नई उतार पावत हे।
वो दिन बैसाखु ह टिकरापारा म मिल गे। मै हा पूछ पारेव कस रे बैसाखु तै हा त बने नेतागिरी करत रेहेस, चुनई बर टिकिट घलो मांगे रेहे। भगवा वाला मन तोर जय घलो अरबड़ बुलावय अब कहां चल देस।
बैसाखु ह कीहिस छोड़ न गा तहीया के बात ल बहिया लेगे। अब त भईगे गांव म बस गे हौ नानकुन दुकान घलो खोल डारे है। आराम ले जिनगी करत हे। रोज-रोज के हटहट कटकर नई हे।
का होगे बैसाखु तै हा त बढिय़ा बस्ती वाला मन के सेवा करत रेहेस, तोर नाम रीहिस, जम्मो झन इज्जत घलो करय, तोर जय बोलावयं। बैसाखु कहे छोड़ न गा आज कल सेवा ला कोनो नई पुछय टिकिट बर खलो पईसा मांगथे अऊ जेखर सुख-सुविधा बर लड़बे तऊनो ह पइसा मांगथे फेर कोन दल ह देश सेवा करत हे। जेन ह पितथे तउने ह लुटे म लग जथे अब मही ह सांसद के लुट खसोट के विरोध करेव त मोही ल नोटिस थमा दिन। देश प्रेम अऊ हिन्दू के बात करत जिनगी ल काटत रेहेव। सब ले बैर अलग लेंव का मिलिस।
भ्रष्टाचार ल उजागर करेंव त मोही ल पाटी विरोधी बता दिन। चोर ह सब ल पइसा बांट के अपन म मिला लिन अऊ मोही ल गलत बता दिन। तेखरे सेती मन ह फट गेहे। कलेचुप परिवार ल पोसत है।