शुक्रवार, 14 मार्च 2014

सब गदहा मन बाहिर के हे...


छत्तीसगढ़ बने तेरह बछर बीत गे। रइपुर ह राजधानी बन गे। गाड़ी-घोड़ा के ठिकना नहीं हे। जेती जाबे तेती मनखेच-मनखे दिखत हें। कतकोन रस्ता म त रेंंगे के सोर नहीं हे फेर कइसे फटफटी चलावत रथे। का लइका का सियान। भई भई चलावत हे। में ह त झपावत झपावत रही गेव। जिवराखन ह राज बने के बाद पहिली घांव रायपुर आय रीहिन हे। अऊ टेशन ले घर पहुंचत बपरा ल एक घंटा लग गे रीहिस। आतेच उत्ता धुर्रा बोले लागीस। कइसे महराज। कइसे रथो ए शहर म। कतका बदल गे हे। राज बने के पहिली आय रेहेव त अतेक भीड़ नहीं रीहिस। टेशन म उतरव तहां ले 10 मिनट म आ जात रेहेंव। फेर ए दारी जी ह असकटा गे। का लइका का सियान भांय भांय गाड़ी ल दबाथे। के घांव जी ह नहीं कांप गे अइसे लागय मांरेच उपर चढ़ा दीही। बीच रोड म गाड़ी ल खड़ा कर देथे। केती ले बुलकबे ते हा सोचतेच रथे कोनो फटफटी वाला ह तोर ले पहीली बुलक जाही अऊ हारन ल अइसे बजाथे के पोटा कांप जाए। तभे त मेहा नहीं आवंव। मरे के पाहरों म एक्सीडेंट होके नहीं मरव।
एकेच सांस म जीवराखन ह  राजधानी के टै्रफिक के अइसे गुणगान कर डारीस के का बताव। के जगह बपरा ह झपावत झपावत त घर आय रीहिस। मे हर केहेव पानी पसीया खा पी ले तहा ले घुमे बर जाबों। घुमे जाय बर ले दे के मानीस। घुमे बर ओखर सवाल शुरु होगे त मे हा समझावत वोला मॉल ले गेव। गाड़ी ल पार्किंग डहार उतारेक तहां ले वो हा मोला चिमचिमा के अइसे धर डारिस जानो मानों वो ह गिरीच जही। गाड़ी ल खड़ा करके लिफ्ट ले वो ला उपर लेगेंव त वो ह बकवा गे रहाय। इतवार के सेती भीड़ रीहिस। इहों भीड़ ल देख के वो खट मन ह बइठ गे। थोड़ेकेच देर म जीवराखन ह असकटा गे अऊ घर जाय के जिद करे लागीस निकलन तहां ले धोड़कीन देर म फेर ओखर शुरु होगे। कस गा महराज असकट नहीं लागय। जेती जाबे तेती खाली गाड़ीच गाड़़ी अऊ मनखेच मनखे दिखत हावय। मे ह केहेव आदत पडग़े हे गा। तहु दुचार दिन रहीबे तहां ले तुहरो आदत पड़ जाही। ते ह घुमे म धियान दे न ऐती तेती देख अऊ कुछु काही बिसाना हे त चल मॉल जाबो।
मॉल काला कथे कहीके त महु केहेव चल भई। भीड़ भाड़ ल देखत घर पहुंचन तहां ले जीवराखन ह शुरु होगे। कस महराज राजधानी बनीस त कहां ले अतेक मनखे आगे एमन ल न रेंगे ल आवय न बने गाड़ी चलाय। अब जीवराखन ल मैं का समझातेव। मोला भोपाल के किस्सा ह सुरता आगे उही ल सुना डारेंव।
एक घांव भोपाल गे राहन त टीटी नगर डाहर एक बाजु अड़बड़  गदहा दिखीस त मोर संगवारी ह पूछ पारीस। कइसे भईया ईहा  बहुत गदहा हे त आटो वाला ह तुरते केहे रीहिस राजधानी हे साहेब सब डहार के गइहा मन इहां आबेच करथे...!

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