बुधवार, 19 फ़रवरी 2014

ए दे कुकुर घलो ह बघवा बनगे...



चुनई के पहिली राम लाल ह जब किहिस के आजकल त जेन ल देख तउने ह नेता बने घुमत हे। अपन घर के वोट के ठिकाना नहीं हे बस्ती-पारा के वोट देवाबो कही के नेता मन ल जटत हावंय, अपन ल धोय नहीं सकत हे, अऊ दुनिया बाहिर ले गोठियावत हे, चोरहा मन ह साहुकार बने घुमत हे अऊ कुरहा मन घलो अआाब झाड़त हे, कुकुर ह बघवा बन गे घोर कलयुग आ गे हे त जम्मो झन ह कतका नई हांसे रीहिन।
ए हांसी म रामलाल ह वो दिन कतका गुसियाय रीहिस। अऊ केहे रीहिस राह के अभी मोर बात ल हांसत हावव। चोरहा नेता मन के पाछु घुमत हौ पटवारी अऊ पुलिस ल पइसा खवा के अपन काम ल निकलवावत हावव। अइसने चलत रही त देखहु गुण्डा मन ह राज करही अऊ पुलिस ह तमाशा देखही तब रोवत बइठे रहु।
रामलाल के गोठ ल कोन घरीन अऊ कोन छोडिऩ तेखर त पता नहीं हे फेर जेन किसिम ले आजकल अतियाचार होवत हे तेन ल देख के कतकोन झन मुंह ल फार देवत हे। पुलिस वाला मन घलो काय करय आधा कस बल त उंखर नेता मंत्री मन के चाकरी म लग जात हे। अब नवा राजधानी मन चार झन नवईया नहीं हे फेर चउक-चउक म अकेल्ला खड़े रथे। यहा धाम म अकेल्ला खड़े-खड़े कोनो बने सोच सकत हे जी ह त गुसियाबे करही फेर ए गुस्सा ह कहं निकलही जिहां बात चलथे तिंहा निकालत रथे।
अब विधानसभा म भुपेश बघेल ह कतको बोलत रहाय के ए सरकार ह करम के नहीं हे। रोज हत्या जनाकारी होवत हे। फेर कोनों ल फटक नहीं पडय़। पुलिस वाला मन ह घलो नेता मन संग रही रही के अपन चमड़ी ल मोटा कर डारे हावय। जब नेताचमन ह
वो दिन बिसहत ह काहत रीहिस झन पूछ महराज आजकल भलई के जमाना नही हे। भलई का तहां ले घोड़को उंच नीच हांगे त वर्दी वाला मन ह अइसे छुछुवाथे के कुकुर घलो केतक खा जाही। फेर बिसहत ल घलो माने ल पड़ही। लोगन मन के भलई बर भीड़ीच जथे।
पउर त वो ह कान घर के किरिया घलो खा डरे रीहिस फेर आदत ह नहीं जावय। कभु वो खर तीर तराव म रूतबा रीहिस। पुलिस वाला मन घलो वोखर आगु पाहु धुमत रहाय फेर जब ले वो ह सरपंची ल छोड़ीस हे उही पुलिस वाला मन ओखर बर बघवा बन गे हे। अइसे गुरवित हे जानो मानो बिसहत ल खाईच डारही। फेर बिसहत घलो कम नहीं हे भले चुनई नई लड़े के कसम खाय हे फेर भलई को बर नहीं छोडय़ पटवारी अउ पुलिस डहार ले बदमाशी देखथे त भीड़ीच जाथे अब वोला कोन समझाया के जमाना बदल गे हे शेर मन ह विंचरा म रथे अऊ कुकुर मन ह बघवा बने घुमत हे।
चोरहा मन ल छोड़ाय बर फोन करत हावय त ओमन ह काबर पाहु रही। तेखरे खेती कहु मन ह बइसने होगे हावय।

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