गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

कांव-कांव - हांव-हांव अऊ खांव-खांव॥


छत्तीसगढ़ म ए साल होवईया विधानसभा चुनई के पहिली जम्मो डहार तमाशा चलते हे। जेती देखबे तेती खाली हांव-हांव अउ कांव कांव होवत हे। भाजपाई मन ह कुरसी बचाए खातिर लगे त कांग्रेसी मन ह कुरसी पाए खातिर उदिम करत हे। फ़ेर छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अऊ छत्तीसगढिय़ा मन के फि़कर कोनो ल नई हे।
बारा बच्छर होगे राज बने। पुरखा मन एखर सेती राज के सपना नई देखे रीहिन के नेता मन ह कुरसी बर लड़ही अऊ अपन पेट अऊ अपन परिवार बर बेवस्था म लग जाही।
दुकालु ह बने कथे, राज के मांग एखर सेती होए रीहिस के हमर राज बनही त बिकास के नदिया बोहाही। हमर बिजली म हमर घर अंजोर होही। अऊ इंहा के पढ़े लिखे लईका मन ल नौकरी मिलही। खेत-खेत म पानी पहुंचही अऊ गांव गांव म सिक्छा अऊ डॉक्टर पहुंचही। का होईस बारा साल म?
9 साल होगे डॉक्टर रमन सिंह ल बईठे। गांव के गरीब किसान मन बर का करीस। उल्टा खेती के जमीन म उद्योग खुल गे। बिजली पानी ल घलो उद्योग ल बेचत हे अऊ मंहगाई के मार म सांस लेना मुस्किल होवत हे।
ए बात नई हे के रमन सरकार ह नौ साल म केवल खवई बूता करे हे, कुछु नई करे हे। फ़ेर जेन कुछ होए हे वईसन त होतेच रहिथे। नवा का होईस अऊ सरकार ह का करीस कोनो नई बता सके। सरकार तीर घलो ए बात के जवाब नई हे के छत्तीसगढिय़ा मन के बिकास खातिर ठोस योजना काए बनाए गीस।
सरकार ह अठरा ले सत्ताईस जिला कर दिस, फ़ेर एखर फ़ायदा काए हे, जब खेल ल पानी नई पहुंचही। लईका मन ल पढे जाए बर भटके ल परही अऊ बीमारी के ईलाज बर दसियों कोस जाए ल परही। सड़क बनाए ले कुछु नई होवय। स्कूल खोल दिस त गुरुजी के पता नई हे।
राज बन गे हे फ़ेर इंहा के पढे लिखे लईका मन बर आज ले सरकारी नौकरी के दरवाजा नई खुले हे। पढे लिखे लईका मन ल सिक्छा करमी बना दे हे अऊ ओखरो मन के सोसन चलत हे।
एक तरफ़ त भाजपा एफड़़ीआई के बिरोध करत नई थकत हे लेकिन दुसर कोती छत्तीसगढ़ म बईठे रमन सरकार ह घलो वइसनेच काम करत हे। सरकारी स्कूल अऊ सरकारी अस्पताल के धुर्रा बिगाड़ दे हे। तेखरे सेती जगा जगा निजी अस्पताल अऊ निजी स्कूल खुलत हे अऊ आम आदमी हं अपने पेट काट के निजी डहर दउड़त हे।
सरकार ह घलो जानथे के गांव म रहवईया मन ह गरीब होथे अऊ न ढंग से पढ़ सकय न ईलाज करा सकय तब सरकार ह नवा राजधानी बनाए के बजाए हर बिकास खंड म रायपुर के मेकाहारा जइसे अस्पताल खोले के योजना काबर नई बनाईस। राज्योत्सव मनाए बर करोड़ों रुपया फ़ूंक देथे। लेकिन स्कूल अस्पताल अऊ पानी खातिर रोना रोथे।
अब चुनई आगे त हांव हांव करत हे। अतेक दिन ले जम्मो डहार खांव-खांव चले हे। आखिर ये कब तक ले चलही। जनता ह त टुकटुकी लगाए देखत हे।

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