बुधवार, 26 दिसंबर 2012

चांउर बेच के पी...


छत्तीसगढ़ के गांव-गांव म आजकल सांझ होथे तहां ले कुकुर कटायन शुरू हो जथे । परन दिन गांव गे रेहेव, सोचे रेहेव के सुसायटी म धान ल दे दुहुं अऊ एकाक रात रूक जाहूं । सांझ किन जुन्ना संगवारी मन ले मिल लुहुं थोड़ बहुत गोढिया लुहु । फेर ए का, सांझ होईस तहां ले झन पूछ, जेती देखते तेती दु-चार झन समलाय हे अऊ जोर-जोर ले गोटियावत हे । जानो-मानो झगड़ा लड़ई करत हे ।
एक झन सियनहा ल पूछ पारेंव का होवत हे गा । सियनहा ह रो पड़ीस अऊ जेन हाल ल सुनाईस ओखर ले मोर छाती ह फाट गे । झन पूछ महराज आजकल गांव ह गांव नई रही गे है । न कोनों अपन सुख-दु:ख ल गोटियावत न कोनो तरीया पार म बइठय, जवान-जवान लइका मन ह दारू के चक्कर म पड़ गे हे, भट्टी जाय के घलो जरूरत नई पडय़ा, भट्ठी वाला मन ह गांवेच म ला के दारू ल बेचवावत हे । पंच-सरपंच ल सेट कर ले हे । अऊ जेन ह एखर विरोध करथे तेन ल पिटान लगाथें ।
काम बुता म घलो नई जावय, मनरेगा खुल जथे त हाजरी लगथे अऊ फोकट म पईसा झोंकत हे । सरकार ह दु रूपया यकिलो जाऊंर देवत हें । कारड ल बनवा डरे हे अऊ बस दारू ल पियत घूमत रहीथे । परन दिन त निहाली ह अपन बेटा ल दारू पिये के नाम म गाली दिस त लकडी-डंडा धर के भिडग़े । अब इही म जान डार के जेन लइका मन ल अपन दाई-ददा के डर नई हे तेन ह हमर असन सियनहा मन ल बचाही ।
अऊ ए किस्सा ह खाली हमरे गांव भर के नई हे । शराब म आस-पास के जतका गांव हे सब म इही हाल हे । लखन ह एक महिना पहिली बैइठक बुला के मंदहा मन ल रोक टोक के बात करीस त बपरा ल डांड? पडग़े । पुलिस ह घलो नई सुनय । माई लोगिन मन के बारी मांढा ह बंद होवत हे। बकई झकई ल कतकोन झन के बिहाने ले शुरू हो जावत हे । अऊ जब अपने छत्तनी म छेदा हे त कोन ल दोष देवन । में सन्न खा के छत्तीसगढ़ के गांव-गांव म आजकल दारू बिकत हे । परबुधिया छत्तीसगढिय़ा मन के बुरा हाल हे अऊ मिठलबरा मन ह त दारू के जुगाड़ म लग जथे । गांव के सुख-शंति छिना गे हे अऊ सरकार ल एखर ले कोनो लेना नई हे ।
सियान मन ह कहीथे अतका पन जोगी राज म नई रीहिस । जब ले रमन राज आय हे तब ले इही दसा ह । कखरों सुनवई नई होवत हे । गांव के सरकारी जमीन मन म कब्जा होवत हे अऊ इही जमीन मन ल तहां ले परदेशिया मन ह दाऊ महुआ पिया के खरीदत हे ।
अब त गांव-गांव म एकेच टन बात होवत हे -
कृष्ण राज म दूध मिले, राम राज म घी
रमन राज म दाऊ मिले, चांऊर बेच के पी ।

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